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प्रधानमंत्री आवास योजना में हो रहा फर्जीवाडा बदस्तूर जारी

आवंटन प्रक्रिया निरस्त, आवेदको ने किया चक्का जाम

शेखर कौशल देवास।

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गरीब आमजन को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना चलाई जा रही है। लेकिन इस माहिती योजना को भ्रष्टाचार में डुबे अधिकारी किस तरह पलीता लगाते हैं इसकी एक बानगी शुक्रवार को देवास में फिर देखने को मिली।


देवास नगर निगम ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को आवंटित करने के लिए 1212 भवन बनाकर तैयार किए थे। जिन्हें पहले आओ पहले पाओ योजना के तहत उन मकानों का आवंटन किया गया था। उस आवंटन प्रक्रिया पर फर्जीवाडे और भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। जिसकी शिकायत नीचे से लेकर ऊपर तक की गई थी। इतना ही नहीं परिषद में तत्कालीन जनप्रतिनिधियों द्वारा इस भ्रष्टाचार के विषय को उठाकर एक जांच समिति भी बनाई थी। लेकिन आज तक ना तो उस जांच समिति ने क्या किया यह पता चला और ना ही उच्च स्तर पर की गई शिकायतों में क्या पाया गया इसकी कोई जानकारी लगी। पूर्व निगम आयुक्त के द्वारा उस भ्रष्टाचार को दबाने के लिए बड़े स्तर पर तालमेल जमा कर मामले को रफा दफा करा दिया गया और पिछली परिषद द्वारा बनाई गई जांच समिति भी बंद कर दी गई। इसके बाद वर्तमान परिषद में भी इस भ्रष्टाचार का मामला उठने पर एक समिति बनाई गई। जिसका तत्कालीन एमआईसी मेंबर रामदयाल यादव को अध्यक्ष बनाया गया। जिस पर यादव द्वारा निरंतर कार्रवाई की जा रही थी इस दरमियान उन्हें मैं आई सी से हटा दिया गया और यह भ्रष्टाचार उजागर होने से पहले ही रुक गया। वर्तमान अध्यक्ष बाबू यादव ने इस पर उन्हें कोई भी जानकारी नहीं होना बतलाया है।


यह तो हुई पुरानी बात लेकिन शेष बचे 72 मकानों के आवंटन के लिए कुल 1612 आवेदन निगम को प्राप्त हुए हैं। इन सभी आवेदकों को देवास नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा फोन लगाकर शुक्रवार को मल्हार स्मृति मंदिर में दोपहर 1 बजे लॉटरी सिस्टम से मकान का आवंटन करने के लिए बुलाया था। आवंटन स्थल पर आवेदको की भीड़ सुबह से ही लग गई थी। कई एमआईसी मेंबर और पार्षदों भी वहां उपस्थित थे। इस दरमियान वहां मौजूद एक अधिकारी के पास किसी का फोन आया और आवंटन की कार्यवाही को अचानक निरस्त कर दिया गया। जिससे वहां मौजूद लोगों द्वारा हो हल्ला मचा दिया गया। लोगों को गुस्साए देख सूचना एवं प्रौद्योगिकी समिति के अध्यक्ष बाबू यादव पिछले दरवाजे से तुरंत रवाना हो गए। जबकि आवंटन प्रक्रिया इनके अधीन ही आती है और निरस्त करने के बाद हो हल्ला कर रहे लोगों को उनके द्वारा समझाइश देकर शांत करना था।

मेयर इन काउंसिल के तीन सदस्यों की निजी हितों के चलते रोकी आवंटन प्रक्रिया
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो शुक्रवार को आयोजित आवंटन की कार्रवाई को स्थगित करने के लिए ऐम आई सी के ही कुछ कद्दावर सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई थी, कि अगर सार्वजनिक रूप से आवंटन प्रक्रिया का पालन किया जाएगा तो हमारे द्वारा जिन लोगों को जुबान दी गई है उन्हें हम मकान कैसे दिलवा पाएंगे। इसलिए उनके दबाव में आकर इस प्रक्रिया को रोक दिया गया। इस विषय पर धर्मेंद्र सिंह बेस, गणेश पटेल और बाबू यादव से चर्चा की तो उन्होंने किसी भी प्रकार के दबाव डालने से साफ इनकार कर दिया।

गुस्साए लोगों ने किया चक्का जाम
आवंटन प्रक्रिया निरस्त होने के बाद आम लोगों में गुस्सा भड़क गया। इन सभी लोगों ने मल्हार स्मृति मंदिर से सीधे नगर निगम का रुख किया। नगर निगम में किसी भी जवाबदार व्यक्ति ने आकर इनसे बात करने की जहमत नहीं उठाई। जिसके बाद विपक्ष के पार्षदों दीपेश कानून और राहुल पंवार ने इन लोगों के साथ एबी रोड को जाम कर दिया। यह चक्का जाम लगभग डेढ़ घंटे तक लगा रहा। जिससे आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पुलिस प्रशासन भी इन्हें समझ पाने में असमर्थ रहा। कोई भी नगर निगम का जिम्मेदार छोटा अधिकारी जाम खुलवाने की स्थिति में नहीं था। क्योंकि पिछले दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण के जो दिल्ली में पुरस्कार वितरण का आयोजन था वहां से बडे अधिकारी अभी तक घूम फिर कर लौट नहीं है और जो छोटे अधिकारी यहां मौजूद थे वे इस बवाल में पढ़ना नहीं चाहते थे। इस दरमियान तहसीलदार सपना शर्मा वहां पहुंची लेकिन लोगों ने उनसे बात करने से साफ इनकार कर दिया। तब कहीं जाकर ईई ईंदू भारती को बुलाया गया उनके कहने तथा भाजपा के पार्षद अजय तोमर, प्रवीण वर्मा ने जल्द ही आवंटन प्रक्रिया की पुनः तिथि निर्धारित करने का आश्वासन देकर चक्का जाम खुलवाया। इतना सब होने के बाद भी लगभग पचास से महिलाओं द्वारा अपर आयुक्त का कक्ष घेर लिया गया। जैसे तैसे उन्हें समझा कर वहां से रवाना किया गया।


कुल मिलाकर जो बात सामने आई वह सीधी सी यह है कि देवास नगर निगम एम आई सी के कुछ जनप्रतिनिधि ही नहीं चाहते थे कि पारदर्शिता के साथ आवंटन प्रक्रिया को संपन्न कराया जाये। क्योंकि इससे उनके निजी हित प्रभावित हो रहे थे। इसलिए उनके दबाव में अधिकारियों ने जानबूझकर और भ्रष्टाचार करने की नीयत से आवंटन प्रक्रिया को निरस्त किय गया। ऐसी स्थिति में जब भी भविष्य में इन मकानों के आवंटन किए जाएं तो खुले मंच से लॉटरी सिस्टम से ही प्रक्रिया को संपन्न कराया जाना ही उचित होगा।

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